Essays on the Rig Veda and its mystic symbolism, with translations of selected hymns.
Essays on the Rig Veda and its mystic symbolism, with translations of selected hymns. These writings on and translations of the Rig Veda were published in the monthly review Arya between 1914 and 1920. Most of them appeared there under three headings: The Secret of the Veda, 'Selected Hymns' and 'Hymns of the Atris'. Other translations that did not appear under any of these headings make up the final part of the volume.
अनुक्रमणिका 1
( वेद-रहस्यके पूर्वार्द्धमें आये विशिष्ठ विषयों तथा उल्लेखोंकी)
विषय
अगस्त्य और इन्द्र
अग्नि
अग्नि औरअगिरs
अग्निका अपना घर
अग्निका जन्म
अग्नि और इन्द्र(की उत्पत्ति)
अग्नि और सोम
अग्निका स्वरूप
अग्निकी रचना
अंगिरस् (सामान्यत: 16-19 अध्याय)
अंगिरस् ॠषि
अंगिरस् और अग्नि
अंगिरस् और इन्द्र
अंगिरस् और उषा
अंगिरस् और बृहस्पति
अगिरस् और मरुत्
अंगिरा (अथर्वा)
अथर्वा
अदिति
अदिति (गौ)
अद्रि
अध्वरका रूप
अध्वर यज्ञ
अनन्त (सांप)
अन्तरिक्ष (भुवः)
अन्तर्ज्ञानका युग
अपोलो
पृष्ठ
329-333
37-38
217-229
109
166-167
427-428
282
361
361-362
245,247-248
214-230
217-224
227-230
228-230
223-227
227-229
318-319
143,170,180,263
366
137
249-250
248
153
370
45
37
अमरताकी वृद्धि
अयास्य
अरिः कृष्टय:
अर्य
अर्यमा
अव
अश्व
अश्व (श्वेत)
अश्विनौ
अश्विनौ (दो)
अश्विनौ और वायु
अश्विनौ का रथ
असुर और देव
अहि
आ
आंगिरस कथा
(सामान्यत: अध्याय 14 )
आत्म-समर्पण
आत्मोत्सर्ग (त्याग)
आध्यात्मिक अर्थ
आनंद, ज्ञान, बल
आर्य (अर्, अर्य)
आर्य औरदस्यु
आर्योंका आक्रमण
इ
इडा (इळा)
263
233-235-239
343
348
385-386
130
88
185
122-128,177-179
418
127
428
85
138
189-190
359
77
359-360
342
77,294-302,306-308
76-77
73-74,115,19-141
४२३
विषय पृष्ठ
इडा-सरस्वती-सरमा
इन्द्र
इन्द्र और अंगिरस्
इन्द्र और अगस्त्
इन्द्रऔरअग्नि (की उत्पत्ति)
इन्द्र और मरुत
(सम्पूर्ण दूसरा और तीसरा अध्याय)
इन्द्र के घोड़े
इन्द्र-वायु
उ
उच्चारण और स्तोत्र
उपनिषद
उशना
उषा
उषा और अगिरस्
उषा और रात्रि
उस्रा
ऋ
ऋक्
ऋत
ऋत और सत्य
ऋत का रक्षक
ऋभु
ऋभुगण
(11 वां अध्याय)
ए
एकदेववाद
एलूसिनियन
ओ-औ
ओषधि
ओर्फिक
278279
129-130
226
331
431
115-116
350
35-36,46-49
173-177
228-23,260
354
132
245
77-78,83-84,108-109
106-109
108,135
426
442-445
36,39,63
166
कवि
कृष्टि
क्रतु
क्षीरसमुद्र
क्षेत्र
ग
गगाथाशास्त्र (तुलनात्मक)
गाव: (सप्त)
गौ
गौ(अदिति)
गौ (किरण
(सामान्यत: 12 वांअध्याय)
गौ (मधुर दूध देनेवाली )
गौ और अश्व
गौओंकी पुन : प्राप्ति
गौओंकी पुन : प्राप्तिमें व्यापक रूपक
गौओंकी पुन: प्राप्तिम
सब देवोंका संबन्ध
गौ और विचार
ग्रीसका गाथाशास्त्र
ग्रीसकी रहस्यविद्या
घ
घर
धृत
घृत और मधु
घूत (तीन प्रकारसे रखा हुआ)
घोड़े
घोड़े (इन्द्रके)
घोड़े (वायुके)
घोड़े (सूर्यके)
क
131
101-102,104
255,259,286
63-65
170
82,149,150,156
171-173
428-429
83
209-213
196-197
195-196
301-305
36
259
81,117-118
254-255
149-150-255
380,381
398
४२४
च-छ
चन्द्र
चन्द्रमा और मन
चमस
चमस (चतुर्वय
चर्षण
चार नदियां
चार लोक-चौथा लोक
चार सींग
चार सौर देव (मित्र-वरुण--भग-अर्यमा)
छन्द
ज
जल
जल और समुद्र
ज्ञान, आनंद, बल
ट
परम शिव अय्यर
त
तामिल भाषा
तिलक महाराजकी पुस्तक
तीन उच्चतम अवस्थाए
तीन जन
तीन तृप्तियाँ
तीन पृथवियां
तीन पैर
तीन मनके लोक
तीन रोचना
त्याग
दक्ष
दक्षिणा
द
दधिक्रावा (अग्नि)
380
339
96
430
114
239
237
366,394
385-387,43
131,156-158
66-68
76
67-68
299
394
369
369,375,382
112-115
396
दधिक्रावा ( अश्व)
दमम्
दयानंद-भाष्य
दशग्वा
( साधारणत : १७ वां अध्याय)
दश मास
दस्यु और आर्य
दस्युओं ( पणियों) पर विजय
( 22 वां अध्याय)दास,
दास वर्ण
दिति और अदित
दिन
द्विपदे चतुष्पदे
दिव्य ( अदिव्यसे दिव्य)
दीदिवि
दीर्घतमस् औचथ्य
दुरित (सुवित)
दूत (अग्नि)
देवता (देव)
देव-दैत्य
देवतात्रयी
देवयान
दो सिर
द्यौ-स्व:
दृष्टि (और श्रुति)
द्रष्टा
द्राविड़
द्राविड़ भाष
द्राविड़ और आर्य
द्वयर्थक प्रणाली ( श्रीअरविन्दकी
ध
धी
धी (और मति)
धेनु
395
109-110
68-69
232-235
233-234,238,299
77,294-302
306-319
294,315
271-272,306-308
274
107-108
98
108,09,184
84-85
434-436
393-394
42
33
36,74,76
70
77,78,116-117
117
95
४२५
न
नदियां ( सात)
नदी
नभस्
नवग्वा
नासत्या
निद: (निन्दक)
निन्यानवेकी संख्य
नृ
प
पदपाठ
पणि
पणि और वृत्र
पणियो ( दस्युओं) पर विजय
(22 वां अध्याय)
पांच लोक ( पंच जना:)
पांडित्य (वेदोंका पण्डितोंके हाथमे जाना)
पाजस्
पारसी धर्म
पाश्चात्य अनुसंधानप्रणाल
पितर
(18 वां, 19 वां अध्याय)
पितरौ ( माता-पिता) की फिर
जवानी
पुराण
पुरोहित
पूषा
पूषा का अंकुश
पृथिवी (भू:)
पृश्नि
प्रचेता: और विचेता:
प्रज्ञा ( विशुद्ध विराट्)
प्रज्ञा (प्रकाशमयी, दिव्य)
पृ ष्ठ
159-160,164,265-226
(11 वां अध्याय )
104-105
124
340
399
123
52
150,190-192,198-199-295-297,306-308
295-296
166,236-237
40,41
33-34
247-277
429-430
49-50,77
80-81
375-376
314-315
445
379-380
330-333
340-342
प्रज्ञान और विज्ञान
प्रतीकवाद
(23वाँ अध्याय)
प्रभु और विभु
प्राण-शुद्धि
ब
बल-ज्ञान-आनंद
बृहत्
बृहस्पति
बृहस्पति (और अगिरस्)
बौद्धधर्म
ब्रह्म (शब्द)
ब्रह्म
ब्रह्मा
ब्रह्मगण
ब्रह्मणस्पति
ब्राह्मण-ग्रंथ
भ
भग
भद्र
भारती मही
भाषाविज्ञान (तुलनात्मक)
म
मत्र, मन्म
मंत्र (वैदिक मंत्र)
मंत्र-निर्माण
मंत्र और हृदय
मति
मति (सुमति)
मति और धी
मधु-स्त्रवण
381
446
167
83-84
404-406
(नवां अध्याय )
223-226,240-241,244-245
49-50
243-244
351-405
410
405-406,435,445
46-47
96-97
108
139-142
65-67
351-352
43-44
341
409,416-418,421-422
४२६
मधुमय लहर(मधुमाँ ऊर्मि :)
मन और चन्द्रमा
मनीषा, मनीष
मय:
मरुत् और अगिरस्
मर्त्य-अमर्त्य मे आदान-प्रदान
मर्त्य (मानवीय) और दिव्य
मह:
महाकार्य
यहायात्रा
मही (भारती)
मानव पितर या दिव्य ऋष
मित्र
मित्र-वरुण
मेधातिथि (काण्व)
य
यज्ञ
यज्ञ किसका प्रतीक
यज्ञ, यजमान
यम
यात्रा ( विजययात्रा)
यात्राका लक्ष्य
यास्क-कोष
यास्क (निरुक्तिकार तथा कोषकार)
युद्ध-यज्ञ-यात्र
योरोफ्यिन वैदिक पांडित्य
योरोपियन भाष्य तथा सायण-भाष्य
र
रव
रवेण
रहस्यवादका युग
रहस्यवाद (वैदिक)
रात्रि और उषा
148,152
84,108
227-228
107
275
262
(18 वां अध्याय)
407
96,119
118-119
79
80
291-292
250-252
260-261
50
53-54
241-243
59-61
35-36
38
39
राये, रयि, रत्न
रुद्र
रुद्र और विष्णु
रोदसी
ल
लोक
लोक और मानव व्यक्ति
व
वरुण
वरुण, मित्र
वर्ण
वल
वल और वृत्र
वसिष्ठ
वाज
वामदेव
वायु
वायु-इन्द्र
विचार और गौ
विचेता: और प्रचेता:
विज्ञान और प्रज्ञान
विपश्चित्
विप्र
विभु और प्रभु
विरोधी शक्तियाँ
विश्व (विराट्) शक्तियाँ
विश्वामित्र
विश्वेदेवा:
विष्णु
विष्णु और रुद्र
विष्णुके तीन क्रमण
वृक
435
433-434
97,119,157-158
117-118
295-296,301-302
191
393
(आठवाँ अध्याय )
251-252,266
452
129-133
153-154,433-436
(12 वाँ अध्याय)
437 439
४२७
वृत्र
वृत्र और पणि
वेदका केन्द्री भूत विचार
वेदका विषय
वेदका सारभत विचार
वेदका सार विषय
वेदकी रचना
वेदांत और वेद
व्याहृति
श
शब्दकी शक्ति
शुन:शेप
श्वेत (अश्व)
श्रुति और दृष्टि
श्रवस्
स
सत्य ( अग्निका)
(ग्रीक, कैल्टिक)
संस्कृति (कैल्टिक)
सत्य और ऋत
सत्य, ऋत, बृहत्
सत्यम् ऋतं बृहत्
सत्य-चेतना की प्रकृति
सत्य की महिमा
सप्त
सवितुर्वरेण्यं भर्ग:
सप्त ऋषि
सप्त गावं:
सप्त लोक
(आर्य तथा मिश्र, खाल्दियन का भेद
सभ्यता (चीन, मिश्र, खाल्दि-यन, ऐसीरिया)
191,338
295
84-85,110,120-121
43
188-189
320-326
(23 वां अध्याय )
60
48-49,72
350-351
216
42,104,107
77,104,187
61
62
106-108
370-371
408-409
305
142
420
316-317
83,142-143
समुद्र
समुद्र और जल
समुद्र (दो)
समुद्र (हृदय)
सरमा
सरमा-सरस्वती-इडा
सरस्वती
सरस्वती-सरमा-इडा
सहस्रकी संख्या
सात तत्त्व
सात नदियां
सात (वस्तुएँ)
सात लोक
सात हाथ
सात सिरोंवाला विचार
सायणका भाष्य
सायणके अर्थ
सायण-भाष्य (तथा योरुपीयभाष्य)
सारमेयौ
सुनहला
सुनहले
सुमति
सुवित
सूर्य
सूनृता
सूर्य (सविता)
सूर्य का फिर प्रकट होना
सूर्य की किरणें
153-154
147,149,152-153,395
148-149,394
74-75,115,278,419
(20वाँ अध्याय)
278-279
37,74,115,133,138,139,144-147,154
( 9वां अध्याय )
400-401
240-241,372-373
159-160,164 265,
( 11 वाँ अध्याय )
240-241
236
237,241
(17वां अध्याय)
49,54,77
77-78
34-35
291-293
297
380-381,421
108,109,184,389
38,97,140,155,340
182-183,380
(पाँचवाँ अध्याय )
202-230
(15 वाँ, 16वाँ अध्याय )
४२८
सूर्य की रचना
सूर्या
सोम
सोममद
सोम और अग्नि
सौकी संख्या
स्तुभ्
स्तोत्र और उच्चारण
स्तोम
स्वराज्यम्
स्व:
371
128
38,115-116,127-129,338-339
(13 वां अध्याय )
382
399-400
244-245,410
35
388-389
115,155-156,202-207,331,420,448
स्वत:प्रकाश ज्ञान
स्वरशुद्धि की महिमा
स्वसर
ह
हवि:
हंसोंकी उड़ान
हविके फल
हीनोथीज्म
हृदय
हृदय-समुद्र
हृदय और मन
42-43
51
132.
81
421
82.
442-443
149-150
४२९
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