वेद-रहस्य

Sri Aurobindo symbol
Sri Aurobindo

Essays on the Rig Veda and its mystic symbolism, with translations of selected hymns. These writings on and translations of the Rig Veda were published in the monthly review Arya between 1914 and 1920. Most of them appeared there under three headings: The Secret of the Veda, 'Selected Hymns' and 'Hymns of the Atris'. Other translations that did not appear under any of these headings make up the final part of the volume.

Sri Aurobindo Birth Centenary Library (SABCL) The Secret of the Veda Vol. 10 582 pages 1971 Edition
English
 PDF     On Veda
Sri Aurobindo symbol
Sri Aurobindo

Essays on the Rig Veda and its mystic symbolism, with translations of selected hymns. These writings on and translations of the Rig Veda were published in the monthly review Arya between 1914 and 1920. Most of them appeared there under three headings: The Secret of the Veda, 'Selected Hymns' and 'Hymns of the Atris'. Other translations that did not appear under any of these headings make up the final part of the volume.

Hindi Translations of books by Sri Aurobindo वेद-रहस्य 985 pages 1971 Edition
Hindi Translation
Translators:
  Jagannath Vedalankar
  Abhaydev Vedalankar
  Dharmaveer Vedalankar
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अनुक्रमणिका IV

 

भन्त्रानुक्रमणी

 

('वेद-रहस्य'के उत्तरार्द्धमें आये मन्त्रों एवं मन्त्रांशोंकी वर्णानुक्रमणी)

 

 

मन्त्र

प्रतीक - संख्या

पृ. सं

 

मन्त्र

प्रतीक-संख्या

पृ. सं

अंहोयुवस्तन्व

अक्रविहस्ता

अग्न ओजिष्ठम्

ग्निं विश्वा

ग्निं स्तोमेन

ग्निं होतार

अग्नि: पूर्वेभि

 

 

 

अग्नि घतेन

अग्निनाग्निः

अग्निना तुर्वशम्

अग्निना रयिम्

 

 

 

अग्नि तं मन्ये

अग्नि दूतं वृणी०

अग्निमग्निं

अग्निमच्छा

अग्निमीळेन्यं

अग्निमीळे

मं

V.

V.

V.

I.

V.

I.

I.

 

 

 

V.

I.

I.

I.

 

 

 

V.

I.

I.

V.

V.

I.

 

 

 

सू.

15.

62.

10.

71.

14.

127.

1.

 

 

 

14.

12.

36.

1.

 

 

 

6.

12.

12.

1.

14.

1.

 

मं.

3

6

1

7

1

1

2

 

 

 

6

6

18

3

 

 

 

1

1

2

4

5

1

 

 

89

183

74

402

86

410

302,

303,

337,

377

87

380

388

302,

303,

338,

377

58

379

379

35

87

301,

303,

313,

335,

377

 

अग्निरीशे

अग्निर्जातो

अग्निर्जुषत

अग्निर्ददाति

अग्निर्देवेषु

अग्निर्नो  यज्ञ मुप० 

अग्निर्हि वाजिनं

अग्निर्होता कवि०

 

 

ग्निर्होतादास्व०

अग्निर्होता न्यसी०

अग्निस्तुविश्रव०

अग्न कदा त

अग्ने चिकिद्धच०

अग्ने त्वं नो

अग्ने देवाँ इहांवह

अग्ने नेमिरराँ

अग्ने पावक

अग्ने यं यज्ञ-

मध्वरम्

 

 

अग्ने विश्वेभिरा

अग्ने शर्ध महते

अग्ने शुक्रेण

अग्ने सहन्तमा०

अग्ने सुखतमे रथे

IV.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

I.

 

 

V.

V.

V.

IV.

V.

V.

I.

V.

V.

I.

 

 

 

 V.

V.

I.

V.

I.

 

 

55.

14.

13.

25.

25.

11.

6.

1.

 

 

9.

1.

25.

7.

22.

24.

12.

13.

26.

1.

 

 

 

26.

28.

12.

23.

13.

8

4

3

6

4

4

3

5

 

 

2

6

5

2

4

1

3

6

1

4

 

 

 

4

3

12

1

4

 

158

87

84

113

112

78

59

303,

348,

379

71

36

112

363

107

110

379

85

115

302,

303,

339,

377

116

123

381

108

382

 

४६१  


                      

अग्ने:. स्तोमं मना०

अच्छा वो अग्निम्

अजो न क्षां दाधार

अतारिष्म त मस:

अतूर्तपथा:

अतो विश्वान्यद्भुता

अथा ते अंगिर०

अद्रिभि: सुतो

अध स्वचनादुतू

अध स्म यस्यार्चय:

अध स्मा नो 

अधारयत पृथिवीं

अध हि काव्या

अधा ह्यग्न एषाम्

अधि श्रियं

अधीवासं परि मातू

अनमीवास:

अनस्वन्ता

अनुकामं तर्पयेथा०

अनुश्रुताममतिं

अपत्यं परि०

अप न: शोशुचद्

अपां मध्ये

अबुध्ने राजा

अबोधि होता

अबोध्यग्नि:

अभि द्विजन्मा

अभि प्रियाणि

अभि ये त्वा

अभि विश्वानि

अभी नो अग्न

अभ्यवस्था:

अयं मित्रस्य

अयमिह प्रथमो

अयुक्त सप्त

अर्चन्तस्त्वा

V.

V.

I.

I.

X.

I.

I.

X.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

I.

I.

III.

V.

I.

V.

I.

I.

VII.

I.

V.

V.

I.

IX.

V.

IX.

I.

V.

I.

IV.

VII.

V.

 

13.

25.

67.

92.

64.

25.

75.

75.

94.

9.

54.

62.

66.

16.

72.

140.

59.

27.

17.

62.

42.

97.

89.

24.

1.

1.

140.

75.

79.

42.

140.

19.

94.

7.

60.

13.

2

1

3

6

5

11

1

4

11

5

6

3

4

4

10

9

3

1

3

5

3

1

4

7

2

1

2

1

4

5

13

1

12

1

3

1

84

111

396

138

176

166

310

234

249

72

244

182

197

90

406

421

172

118

307

182

143

251

163

167

34

33

418

233

221

236

423

99

250

358

237

84

 

 

अर्यम्यं वरुण

 

अर्वद्धिरग्ने

अव द्युतान:

अव वेदिं

अव स्पृधि पितरं

अव स्म यस्य

अवोचाम कवये

असमृष्टो जायसे

अस्माकमग्ने 

अस्य क्रत्वा

अस्में वत्स परि०

अस्य वासा उ

अस्य स्तोंमें

अस्य हि स्वयश०

 

 आ

 

आ चिकितान

आ जुहोता दुवस्यत

आ ते अग्न इधी०

आ ते अग्न ऋचा

आदस्य ते ध्वस०

आदित् ते विश्वे

द्य रथं भानुमो

आ नो गन्तं

आ मित्रे वरुणे

आ नो मित्र

आ पर्वतस्य

आ पूषाञ्चित्रबर्हि०

आ यज्ञैर्देव मर्त्य

आ यदिषे नृपतिं

आ यद्योनिं हिर०

आ यद्वामीयचक्षसा

आ यस्ते सर्पिरासुते

आ ये विश्वा स्व०

V.

 

I.

IX.

VII.

V.

V.

V.

V.

V.

I.

I.

V.

V.

V.

 

 

 

V.

V.

V.

V.

I.

I.

V.

V.

V.

V.

IV.

I.

V.

I.

V.

V.

V.

I.

85.

 

73.

75.

60.

3.

7.

1.

11.

4.

140.

72.

17.

16.

17.

 

 

 

66.

28.

6.

6.

140.

68.

1.

71.

72.

64.

55.

23.

17.

71.

67.

66.

7.

72.

 

7

 

9

3

9

9

5

12

3

8

10

2

3

3

2

 

 

 

1

6

4

5

5

2

11

1

1

5

5

13

1

8

2

6

9

9

214,

218

409

234

239

47

64

38

78

52

422

404

94

91

93

 

 

 

196

123

60

60

419

395

37

209

211

191

157

141

93

402

200

198

66

406

 

४६२ 


 

आ रोदसी बृहती

आ वा माश्वास:

आ श्वैत्रेयस्य

आयुर्विश्वयुः परि:

 

इति चिन्मन्यु०

इत्था यथा न ऊतये

इदमग्ने सुधितम्

इन्द्र: सहस्रदाब्नां

इन्द्राग्नी शतदाव्नि

इन्द्रावरुण न् न

इन्द्रावरुणयोरहं

इन्द्रावरुण वामहं

इमं स्तोममर्हते जा०

इमं स्तोमं सक्तवो

इमामू ष्वासुरस्य

 

इमामू नु कवि०

 

इमे चेतारो

इमे दिवोअनि०

इमे मित्रो वरुणो

इमे यामासस्त्व०

इयं देव पुरो०

इरावतीर्वरुण

इळा सरस्वती

 

 

ईळितो अग्न आ०

 

 उ

 

उच्छनत्यां मे यजता

उत नो गोमतीरिष:

उत यासि सवित०

उत स्म ते परु०

I.

V.

V.

X.

 

 

V.

V.

I.

I.

V.

I.

I.

I.

I.

II.

V.

 

V.

 

VII.

VII.

VII.

V.

VII.

V.

V.

 

 

 

V.

 

 

 

V.

V.

V.

V.

72.

62.

19.

17.

 

 

7.

20.

140.

17.

27.

17.

17.

17.

94.

27.

85.

 

85.

 

60.

60.

60.

3.

60.

69.

5.

 

 

 

5.

 

 

 

64.

79.

81.

52.

 

4

4

3

4

 

 

10

5

11

5

6

8

1

7

1

2

5

 

6

 

5

7

6

12

12

2

8

 

 

 

3

 

 

 

7

8

4

9

404

182

100

144

 

 

67

103

422

307

121

308

307

307

246

159

213,

217

214,

218

238

240

238

48

240

205

56

 

 

 

54

 

 

 

191

222

228

243

 

उत स्म दुर्गृभीयसे

उत स्म यं शिशु

उत स्वानासो

उतेशिषे प्रसवस्य

उदीर्ध्व जीवो

उर्द्वा पृक्षासो

उद्वयं तमसस्परि

उनत्ति भूमिं

 

उप त्वादुग्ने दिवे

 

उरुं गभीर जनु०

उरुं हि राजा

उषो मघोन्यावह

1उप नः सुतमा

उप प्र जिन्वन

उभे सुश्चन्द्र

उषः प्रतीची

उषो देव्यमर्त्या

उषो वाजेन

 

 

ऊर्णम्रदा वि प्रथ०

ऊर्ध्व ऊ षु णो ऊतये

ऊर्ध्वो न: पाह्यंसो

 

 

ऋतं चिकित्व:

ऋतमृतेन

ऋतस्य गोपावधी

ऋतस्य जिह्व

ऋतस्य देवा अनु०

ऋतस्य प्रेषा ऋत०

ऋतस्य बुध्ने

ऋतस्य हि धेनवो

V.

V.

V.

V.

I.

VII.

I.

V.

 

I.

 

III.

I.

IV.

V.

I.

V.

III.

III.

III.

 

 

 

V.

I.

I.

.

 

 

V.

V.

V.

IX.

I.

I.

III.

I.

9.

9.

2.

81.

113.

60.

50.

85.

 

1.

 

46.

24.

5.

71.

71.

6.

61.

61.

61.

 

 

 

5.

36.

36.

 

 

 

12.

68.

63.

75.

65.

68.

61.

73.

4

3

10

5

16

4

10

4

 

7

 

4

8

9

3

1

8

3

1

2

 

 

 

4

13

14

 

 

 

2

4

1

2

2

3

7

6

72

72

4

229

140

238

131

213,

217

303,

378

312

167

158

209

400

61

138

138

139

 

 

 

55

386

387

 

 

 

81

204

186

233

389

395

139

408

४६३  


 

ऋतावानं विचे०

ऋतेन ऋनं धरुणं

ऋतेन ऋतमपि

हितम्

ऋतेन मत्रावरु०

 

 

एतं ते स्तोम

एता ते अग्न उच०

एतावद्वेदुषस्त्वम

एदं मरुतो अश्वि०

एवाँ ग्निं वसूयव:

एवाँ ग्निमजुर्य०

एवा ते अग्न

एष प्रत्नेन

एष स्या मित्रा

एषा गोभिररुणे०

एष जन दर्शता

एषा प्रतीची

एषा व्येनिं. भवति

एषा शुभ्रा

 

 

ऐषु धा वीरवद

 

 

कमेत त्व युवत

कया नो अग्न

कविमग्निमुप

कवी नो मित्रा

कस्ते जामिर्जना०

कितवासो

यद्रिरिपुर्न

कुत्रा चिद्यस्य

कुमार माता

IV.

V.

V.

 

I.

 

 

 

V.

I.

V.

V

V.

V.

IX.

VII.

V.

V.

V

V.

V.

V.

 

 

 

V.

 

 

 

V.

V.

I.

I.

I.

V.

 

V.

V.

 

7.

15.

62.

 

2.

 

 

 

2.

73.

79.

26.

25.

6.

27.

42.

60.

80.

80.

80.

80.

80.

 

 

 

79.

 

 

 

2.

12.

12.

2.

75.

85.

 

7.

2

3

2

1

 

8

 

 

 

11

10

10

9

9

10

3

2

2

3

2

6

4

5

 

 

 

6

 

 

 

2

3

7

9

3

8

 

2

1

366

88

148,

181

170

 

 

 

43

410

223

117

113

62

120

235

237

224

224

225

225

225

 

 

 

222

 

 

 

40

81

380

170

310

214

218

63

39,

 

कृष्णप्रुतौ वेविजे

के ते अग्ने रिपवे

के मे मर्यकं

को नु वां मित्रा

को वस्त्रता

को वेद जान०

क्रतवः  समह

क्रीन् नो रश्मे

क्षेत्रादपश्यम्

क्षेमो न साधु:

 

 

गन्तारा हि

गर्भो यो अपांगर्भ:

गूहता गुह्य तम

गोमन्न: सोम.

गोषु प्रशस्तिं

 

 

घनेव विष्व ग्वि

घृताहवन

ध्नन्तो वृत्रमतरन्

 

 

चिकित्विन्मनसम्

चित्तिरपां दमे

चित्रा वा येषु

 

 

जनयन् रोचना

जनस्य गोपा

जनासो अग्निं

जनिष्ट हि जेन्यो

जामि: सिन्धूनां

जुषस्व सप्रथस्तमं

जुषस्वाग्ने इलया

I.

V.

V.

V.

IV.

V.

VII.

V.

V.

I.

 

 

 

I.

I.

I.

IX.

I.

 

 

 

I.

I.

I.

 

 

 

V.

I.

V.

 

 

 

IX.

V.

I.

V.

I.

I.

V.

140.

12.

2.

67.

55.

53.

89.

19.

2.

67.

 

 

 

17.

70.

86.

42.

70.

 

 

 

36.

12.

36.

 

 

 

22.

67.

18.

 

 

 

42.

11.

36.

1.

65.

75.

4.

3

4

5

5

1

1.

3

5

4

1

 

 

 

22

2

10

6

5

 

 

 

16

5

8

 

 

 

3

5

4

 

 

 

1

1

2

5

4

1

4

491

82

41

200

157

243

163

100

40

393

 

 

 

307

398

297

327

399

 

 

 

387

380

385

 

 

 

107

394

97

 

 

 

235

77

283

35

390

310

50

 

 

४६४


 

जुष्टो दमूनाः

जुहुरे वि चित०

 

 

त आदित्यास:

वश्चराथ

वो दीर्घाय़ू०

हि शश्वन्त:

घेमित्था

तत्ते भद्रं यत

तत्सवितुर्वरेण्यं

तत्सु नः सवित

तत्सु वां मित्रा

तदृतं पथिवि

त्वा घृतस्नवी०

त्वा नरो

त्वा शोचिष्ठ

नो अग्ने आभि

तमग्ने पृतनाषहं

तमग्रुवः केशिनी:

तमध्वरेष्वीते

तमस्य पक्षमुप०

तयोरिदवसा वय

तव त्ये अग्ने

तव त्ये अग्ने

तव द्यमन्तो

तव श्रिया सुदृशो

तव श्रिये मरुतो

तवाहमग्न ऊति०

ता नः शक्तं

ताँ उशतो वि बोध०

ता बाहवा सुचेतुना

ता वां सम्य०

ता वामियानोऽवसे

ता वामेषे रथानां

ता हि क्षत्रवि०

V

V.

 

 

 

II.

I.

V.

V.

I.

I.

III.

V.

V.

V.

V.

I.

V.

V.

V.

I.

V.

I.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

4.

19.

 

 

 

27.

66.

18.

14.

36.

94.

62.

55.

62.

66.

26.

73.

24.

9.

23.

140.

14.

127.

17.

10.

6.

25.

3.

3.

9.

68.

12.

64.

70.

65.

66.

66.

5

2

 

 

 

3

5

3

3

7

14

10

10

2

5

2

4

4

7

2

8

2

5

6

5

7

8

4

3

6

3

4

2

2

3

3

2

51

99

 

 

 

150

392

97

86

385

250

144

158

181

197

115

408

110

73

108

421

86

42

307

75

61

113

46

45

73

203

379

189

207

193

197

197

 

ता हि श्रेष्ठवर्चसा

तिस्रो भूमीर्धार.

तिस्रो यदग्ने

तुभ्यं भरन्ति०

तुभ्येदमग्ने मधु०

तुविग्रीवो वृषभो

तेभ्य द्युमंन बृहद्.

ते हि सत्या ऋत०

ते हि स्थिरस्य

त्त्रिः सप्त यद्

त्री रोचना दिव्या

त्री रोचना वरुण

त्वं जामिर्जनाना०

त्वं तस्य द्वयाविनो

त्वं नो अग्न एषाम्

त्वं हि मानषे जने

त्वं हि विश्वतोमुख

त्वं नो अग्ने

त्वं नो अग्ने

त्वमग्ने पुरुरूपो

त्वमग्ने वरुणो

त्वमग्ने सप्रथा:

त्वमग्ने सहसा

त्वमध्वर्युरुत

त्वमङ्ग जरितारम्

त्वमर्यमा भवसि

त्वा विश्वे सजो०

त्वामग्न ऋतायव:

त्वामग्ने अङगिरसो

त्वामग्ने अतिथिं

त्वामग्ने धर्णसिं

त्वामग्ने प्रदिवः

त्वामग्ने मानुषी:

त्वामग्ने वसुपतिं

त्वामग्ने वाज०

त्वामग्ने समिधानं

V.

II.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

I.

II.

V.

I.

I.

V.

V.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

I.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

 

 

65.

27.

72.

1.

11.

2.

79.

67.

52.

72.

27.

69.

75.

42.

10.

21.

97.

10.

10.

8.

3

13.

127.

94.

3.

3.

21.

8.

11.

8.

8.

8.

8.

4.

13.

8.

 

2

8

3

10

5

12

7

4

2

6

9

1

4

4

3

2

6

7

2

5

1

4

9

6

11

2

3

1

6

2

4

7

3

1

5

6

 

 

193

153

404

37

78

43

222

200

242

405

153

204

310

143

75

104

252

76

74

70

44

85

415

248

48

45

105

68

79

68

69

70

69

49

85

70

 

४६५  


 

त्वामग्ने हवि०

त्वामस्या व्युषि

त्वे अग्ने सुमतिं

त्वे इदग्ने सुभुग

त्वेषासो अग्नरम०

 

 

दधन्नृतं धनयन्नस्य

दाधार क्षेमम्

दुरोकशोचि: क्रतुर्न

दुहानः प्रत्न०

दृळ्हा चिदस्मा

देवं वो देवयूज्यया

देवासत्वा वरुणो

देवीर्द्वारो विश्र०

देवो न य: पथि०

देवो देवानामसि

देवै र्नोदेव्यदिति:

द्युद्यामानं बृह०

द्विता यदीं कीस्ता०

द्विताय मक्तवाहसे

द्विषो नो विश्वतो०

 

धर्मणा मित्रा०

धारयन्त आदि०

 

 

नकिष्ट एता व्रता

न त्वद्धोता पूर्वो

न दक्षिणा विचि०

न नूनमस्ति नो

नमो मित्रस्य वरु०

नराशंस: सुषूदति

नराशंसमिह प्रियम्

नवा नो अग्नआ

V.

V.

I.

I.

I.

 

 

 

V.

I.

I.

IX.

I.

V.

I.

V.

I.

I.

IV.

V.

I.

V.

I.

 

 

V.

II.

 

 

 

I.

V.

II.

I.

X.

V.

I.

V.

9.

3.

73.

36.

36.

 

 

 

71.

66.

66.

42.

127.

21.

36.

5.

73.

94.

55.

80.

127.

18.

97.

 

 

63.

27.

 

 

 

69.

3.

27.

170.

37.

5.

13.

6.

1

8

7

6

20

 

 

 

3

2

3

4

4

4

4

5

3

13

7

1

7

2

7

 

 

7

4

 

 

 

4

5

11

1

1

2

3

8

71

47

409

384

388

 

 

 

400

391

394

236

412

105

384

55

407

250

157

224

414

97

252

 

 

18

150

 

 

 

397

46

149

148

133

25

438

61

 

न स जीयते मरुतो

न हि ते क्षत्र  न

नाभाकस्य

नि काव्या वेधस:

नित्वामग्ने मनुर्दधे

नि षसाद धृतव्रतो

नीचीनवारं वरुण:

नू न इद्धि वार्य०

नू न राहि वार्य.

नू नो अग्न ऊतये

नू रोदसी अहिना

नचक्षसो अनि०

न्यग्नि जातवेदसं

न्यग्निं जातवेदसं

 

 

परायतीनामन्वेति

परि सोम

पश्वा न तायु

पातं नो रूद्रा

पाहि नो अग्ने

पितुर्न पुत्रा: क्रतुम्

पुत्रो न जातो रण्वो

पुरूरुणा चिद्धचस्ति

पुष्टिर्न रण्वा

पूर्वो देवा भूवतु

पूर्वी र्हि गर्भ:

पूषन्ननु प्र गा

पूषा गा अन्वेतु

पूषा राजानमाघृणि:

पूषेमा आशा अनु

प्र णु त्यं विप्र०

प्र त्वा दूतं वूणीमहे

प्रपथे पथामजनि०

प्र पस्त्यामदितिं

V.

I.

VIII..

I.

I.

I.

V.

V.

V.

V.

IV.

X.

V.

V.

 

 

 

I.

IX.

I.

V.

I.

I.

I.

V.

I.

I.

V.

VI.

VI.

I.

X.

V.

I.

X.

IV.

54.

24.

41.

72.

36.

25.

85.

17.

16.

10.

55.

63.

26.

22.

 

 

 

113.

75.

65.

70.

36.

68.

69.

70.

65.

94.

2.

54.

54.

23.

17.

1.

36.

17.

55.

7

6

2

1

19

10

3

5

5

6

6

4

7

2

 

 

 

8

5

1

3

15

5

3

1

3

8

2

6

5

14

5

7

3

6

3

124

165

161

403

388

162

213,

95

92

76

157

153

116

106

 

 

 

136

234

389

208

387

396

397

207

390

248

295

141

141

141

144

36

383

144

157

४६६ 


 

प्र मात्राभी रिरि.

प्र यज्ञ एत्वानुषक्

प्र यत्ते अग्ने सूरयो

प्र यदग्ने: सहस्वतो

प्र यद्धरिदष्ठ एषाम्

प्र ये धामानिं

प्र वामश्नोतु

प्र विश्वसामन्नत्रि.

प्र वेधसे कवये

प्र वो महे सहसा

प्र वो मित्राय

प्र वो यव्ह्मं पुरूणाम्

प्र श्यावाश्व

प्र सद्यो अग्ने

प्र स मित्र मर्तो

प्र सम्राजे बृह०

 

प्र सीमादित्यो

प्राग्नये बृहते

प्राचीनमन्यदनु

प्रातरग्नि: पुरु०

प्रातर्जितं भग०

प्रातर्देवीमदितिं

प्रियं दुग्ध न

प्रैषामनीक शवसा

प्रो त्ये अग्नयो

 

 ब

 

बळित्था देवनि०

बिभ्रद् द्रापिं

बृहद्वयो हि भानवे

 

भग एव भगवाँ

भगमुग्रोऽवसे

भरामेध्मं कृण०

III.

V.

I.

I.

I.

IV.

I.

V.

V.

I.

V.

I.

V.

V.

III.

V.

 

II.

V.

X.

V.

VII.

V.

V.

X.

V.

 

 

 

V.

I.

V.

 

 

VII.

VII.

I.

 

46.

26.

97.

97.

97.

55.

17.

22.

15.

127.

68.

36.

52.

1.

59.

85.

 

28.

12.

37.

18.

41.

69.

19.

43.

6.

 

 

 

67.

25.

16.

 

 

41.

38.

94.

 

3

8

4

5

3

2

9

1

1

10

1

1

1

9

2

1

 

4

1

3

1

5

3

4

4

6

 

 

 

1

13

1

 

 

5

6

4

 

311

117

252

252

252

157

308

106

88

415

202

383

242

37

171

212,

215

162

80

132

96

177

205

100

147

60

 

 

 

199

167

90

 

 

177

177

247

 

भूरि नाम वन्द.

भूषन्न योऽधि

 

 

मथीद्यदीं विभृतो

मधुमन्तं तनू०

मनुष्वत्त्वा नि

मनो न योऽध्वन:

मन्द्रोहोता गृहपति:

महद्देवानामसु०

महाँ असि महिष

महि ज्योतिर्बिभ्रतं

महे नो अद्य

महे यत्पित्र ईं

मा कस्याद्भुत०

माता देवानां

मातेव यद्धरसे

मा नो अग्ने सख्या

मार्जाल्यो मज्यते

माया वां मिंत्रा०

मित्रं हुवे पूतदक्षम्

मित्रश्च नो वरु०

मित्रो अंहोश्चित्

मुमुक्ष्वो मनवे

 

 

य ईशिरे भव०

य ईं चिकेत गुहा

यच्चिद्धि ते गणा:

यजमानाय सुन्वते

यजा नो मित्रा०

यजिष्ठं त्वा

यज्ञस्य केतुं प्रथमं

यत्किचेदं वरुण

यत्र वेत्थ

V.

I.

 

 

 

I.

I.

V.

I.

I.

III.

III.

X.

V.

I.

V.

I.

V.

I.

V.

V.

I.

V.

V.

I.

 

 

 

X.

I.

V.

V.

I.

I.

V.

VII.

V.

 

3.

140.

 

 

 

71.

13.

21.

71.

36.

55.

46.

37.

79.

71.

70.

113.

15.

71.

1.

63.

2.

72.

65.

140.

 

 

 

63.

67.

79.

26.

75.

127.

11.

89.

5.

 

10

6

 

 

 

4

2

1

9

5

1

2

8

1

5

4

19

4

10

8

4

7

3

4

4

 

 

 

8

4

5

5

5

2

2

5

10

48

420

 

 

 

401

382

104

402

384

148

311

132

220

401

208

137

89

403

36

187

170

211

194

419

 

 

 

141

394

221

116

311

411

77

164

57

 

४६७


 

यदङग दाशुषे

 

यदद्य सूर्य

 

यदयुक्था अरुषा

यदीं गणस्य रस०

यद् गोपावद्

यद् बंहिष्ठं

द्वाहिष्ठं तद

यं त्वा देवासो

यन्नुनमश्यां

यमग्निं मेध्या०

यमग्ने वाजसा०

यं मर्त्य: पुरु०

यं सोममिन्द्र

यश्चिकेत

य: श्वेताँ

यस्ते अग्ने

यस्त्वामग्ने

यस्त्वा हृदा

यस्मै त्व सुकृते

यस्मै त्वं सुद्रविणो

यस्मै त्वमायजसे

यस्य  प्रयाण०

यस्य मा परुषा:

यस्य श्वेता

या धर्तारा

यान्राये मर्त्यान्

यावयद्द्वेषा ऋत०

यासां राजा

या सुनीथे शौच०

युध्मस्य ते

युवं नो येषु

युवं मित्रेमं

युवाभ्यां  मित्रा०

युञ्जते मन उत

I.

 

VII.

 

I.

V.

VII.

V.

V.

I.

V.

I.

V.

V.

III.

V.

VIII.

V.

I.

V.

V.

I.

I.

V.

V.

VIII.

V.

I.

I.

VII.

V.

III.

V.

V.

V.

V.

1.

 

60.

 

94.

1.

60.

62.

25.

36.

64.

36.

20.

7.

46.

65.

41.

12.

12.

4.

4.

94.

94.

81.

27.

41.

69.

73.

113.

49.

79.

46.

64.

65.

64.

81.

6

 

1

 

10

3

8

9

7

10

3

11

1

6

5

1

10

6

8

10

11

15

2

3

5

9

4

8

12

3

2

1

6

6

4

1

 

303,

378

133,

237

249

34

239

184

113

385

190

386

102

65

312

193

168

82

380

52

53

250

246

228

121

168

205

409

136

162

220

311

191

194

190

227

 

 

युवाकु हि शचीनां

यूयं तत् सत्य०

ये अग्ने चन्द्र ते

ये अग्ने नेरयन्ति

ये मे पंचाशत ददु:

येन सूर्य ज्योतिषा

यो अग्नि देववीतये

यो न आग

यो न: पूषन्नघो

यो ब्रह्मणे

यो म इति प्रवो०

यो मे शता च

यो विश्वत: सुप्र०

 

 

रथ युञ्जते

रथाय नावमुत नो

रयिर्न चित्रा सूरो

रयिर्न य: पितृ०

राजन्तमध्वराणाम

 

रायस्पूर्धि स्वधावो

रुशद्वत्सा रुशती

 

 

वधेनस्युं प्र हि

वधैर्दुशंसाँ  अप

वनेम पूर्वीरर्यो

वनेषु जायुर्मर्तेषु

नेषु व्यन्तरिक्ष

 

वय ते अग्ने

वय मित्रस्यावसि

वयमग्ने वनुयाम

वरुणं यो रिशा०

मां राजान

I.

I.

V.

V.

V.

X.

I.

V.

I.

VII.

V.

V.

I.

 

 

 

V.

I.

I.

I.

I.

 

I.

I.

 

 

 

V.

I.

I.

I.

V.

 

V.

V.

V.

V.

V.

17.

86.

10.

20.

18.

37.

12.

3.

42.

60.

27.

27.

94.

 

 

 

63.

140.

66.

73.

1.

 

36.

113.

 

 

 

4.

94.

70.

67.

85.

 

4.

65.

3.

64.

2.

4

9

4

2

5

14

9

7

2

11

4

2

7

 

 

 

5

12

1

1

8

 

12

2

 

 

 

6

9

1

1

2

 

7

5

6

1

6

307

297

75

102

98

132

380

47

143

240

120

119

248

 

 

 

187

422

391

406

304,

378

386

136

 

 

 

51

249

398

393

212,

216

51

194

46

189

41

४६८ 


 

वसुरग्निर्वसुश्रवाः

वाच सु मित्रा वरु

वाजो नु ते शव

वातस्य पत्मन्

वावृधानाय

वि ज्योयोतिषा

विद्धाँ अग्ने वयु

वि पृक्षो अग्ने

वि यो वीरुत्सु

विशांविं

विशां गोपा अस्य

विश्वस्य हि प्रचे०

विश्वानि नो

विश्वा रूपाणि

विश्वासां त्वा

विश्वे हि त्वा

विश्वे हि विश्व

वीतिहोत्र त्वा

वीळु चिद दृळहा

वृष्टिद्यावो रीत्या०

वृष्टिं वां राधो

वेदिषदे प्रिय०

वेधा अदृप्तो

व्यर्यमा वरुण:

व्यच्छा दुहितर्दिवो

व्रतेन स्थो ध्रुव०

 

 

शकेम त्वा समिध

तं ते राजन

शिवस्त्वष्टरिहा

शक्र: शुशुक्वाँ

चि: ष्म यस्म

शुनश्चिच्छेपम

श्रीणन्नूप स्थयेद्.

श्वसित्यप्सु हंसो

V.

V.

V.

V.

IX.

V.

I.

I.

I.

V.

I.

V.

V.

V.

I.

V.

V.

V.

I.

V.

V.

I.

I.

IV.

V.

V.

 

 

 

I.

I.

V.

I.

V.

V.

I.

I.

24.

63.

15.

5.

42.

2.

72.

73.

67.

4.

94.

71.

4.

81.

127.

23.

67.

26.

71.

68.

63.

140.

69.

55.

79.

72.

 

 

 

94.

24.

5.

69.

7.

2.

68.

65.

2

6

5

7

3

9

7

5

5

3

5

2

5

2

8

3

3

3

2

5

2

1

2

4

9

2

 

 

 

3

9

9

1

8

7

1

5

110

187

89

56

235.

42

405

408

394

50

247

209

52

228

414

108

200

115

400

203

174

418

396

157

223

211

 

 

 

247

165

56

396

66

41

394

390

 

सं यदिषो वनामह

सं सीदस्व महाँ

सखायस्तेविषुणा:

सखाय: सं व:

संजानाना उपसी०

स त्वमग्ने सौभ:

स न स्तवान

स नो धीती

स नो नेदिष्ठ

स नो बोधि श्रधी

स नःपावकदीदि०

स नः पितेव सूनवे

 

नः सिंधुमिव

सप्त मे सप्त

समानो अध्व

समिद्धस्य प्र

समिद्धो अग्ने

समिद्धो अग्नि०

समिधान: सहस्र

समिध्यमानो अमृ.

सम्राजा या घृत

सम्राजावस्य

सम्राजा उग्र

ससस्तिरोविष्टिरः

स समुद्रो

स स्मा कृणोति

सस्वश्चिद्धि

स हि क्षपावाँ

स हि द्युभिर्जना०

स हि पुरू चिदो०

स हि शर्धो न

स हि ष्मा धन्वा

 स हि ष्मा विश्व

 

V.

I.

V.

V.

I.

I.

I.

V.

I.

V.

I.

I.

 

I.

V.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

V.

I.

VIII.

V.

VII.

I.

V.

I.

I.

V.

V.

 

7.

36.

12.

7.

72.

94.

12.

25.

127.

24.

12.

1.

 

97.

52.

113.

28.

28.

28.

26.

28.

68.

63.

63.

140.

41.

7.

60.

70.

16.

127.

127.

7.

23.

 

3

9

5

1

5

16

11

3

11

3

10

9

 

8

17

3

4

5

1

6

2

2

2

3

7

8

4

10

3

2

3

6

7

4

 

64

385

82

63

405

251

381

112

415

110

380

304,

378

253

244

136

123

123

122

116

122

202

186

186

420

162

64

239

399

90

411

413

65

109

४६९ 


 

स हि सत्यो यं पूर्वे

साधुर्न गूध्युरस्त

सा नो अद्याभरद्०

स नो विश्वहा

सुक्षेत्रिया सुगातुया

सुप्रतीके वयोवृधा

सुसमिद्धाय

सुसमिद्धो न आ

सेनेव सष्टामं दधा०

सो अग्निर्यो वसु०

स्तृणीत बर्हिरा.

स्व आ यस्तुभ्यं

स्वादिष्ठया

V.

I.

V.

I.

I.

V.

V.

I.

I.

V.

I.

I.

IX..

.

 

25.

70

79.

25.

97.

5.

5.

13.

66.

6.

13.

71.

1.

 

2

6

3

12

2

6

1

1

4

2

5

6

1

 

111

400

221

167

251

55

54

382

392

59

383

401

312

 

 

स्वाध्यो दिव

स्वाहाग्नये वरु०

 

 

हये नरों मरुतो

हव्यवाग्निरजर:

हस्ते दधानो नम्णा

हिरण्यदन्तं शुचि०

हिरण्यनिर्णिगयो

हिरण्यरूपमुषसो

हृणीयमानो अप

होतार त्वा वप्णी०

I.

V.

 

 

 

V.

V.

I.

V.

V.

V.

V.

V.

72.

5.

 

 

 

58.

4.

67.

2.

62.

62.

2.

20.

8

1

 

 

 

8

2

2

3

7

8

8

3

 

 

405

57

 

 

 

245

49

393

40

183

183

41

102

 

४७० 


 

 









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