The Mother's brief written statements on various aspects of spiritual life including some spoken comments.
This volume consists primarily of brief written statements by the Mother on various aspects of spiritual life. Written between the late 1920s and the early 1970s, the statements have been compiled from her public messages, private notes, and correspondence with disciples. About two-thirds of them were written in English; the rest were written in French and appear here in English translation. The volume also contains a small number of spoken comments, most of them in English. Some are tape-recorded messages; others are reports by disciples that were later approved by the Mother for publication.
साधना के लिए और काम के लिए हमेशा यही अच्छा है कि चुपचाप काम करो ।
*
जब कोई काम करना हो तो उसके बारे में जितना कम बोला जाये उतना ही अच्छा ।
कम-से-कम बोलो ।
काम जितना अधिक कर सको करो ।
''क'' की यह बहुत बुरी आदत है कि जब लोग काम कर रहे होते हैं तो वह आकर बातें करने लगता है । अगर वह अपने- आप काम नहीं करता तो कम-से-कम उसे औरों को तो ईमानदारी से काम करने देना चाहिये ।
तो अगर वह फिर से तुम्हारे काम करते समय बातें करने आये तो तुम ही उसे कह सकते हो--''नहीं अभी नहीं, मैं काम कर लूं उसके बाद हम लोग बातें करेंगे ।''
७ जनवरी, १९३३
मुझे लगता है कि सचाई का प्रमाण काम में है, योजना बनाने में नहीं ।
ठीक यही बात है जो मैं उन्हें समझाने की कोशिश करती रही हूं, लेकिन बोलने और योजना बनाने की वृत्ति इतनी जबर्दस्त है कि उसे रोका नहीं
३५२
जा सकता । हम आशा करें कि कुछ काम भी किया जायेगा ।
माताजी, मेरी सत्ता नीरवता में समय बिताना चाहती है लकिन मेरे सहायकों के कारण यह नहीं हो सकता । वे कहते हैं कि जब मैं गम्भीर होता हूं तो मुझसे कुछ पूछना मुश्किल होता है । इससे काम में गड़बड़ पैदा होती है । माताजी, क्या आप मुझे कुछ सलाह देंगी ?
मैं तुम्हारा प्रश्न भली-भांति नहीं समझ पायी । निश्चय ही काम जितना बन पड़े उतनी ईमानदारी के साथ करना चाहिये लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि तुम्हें गम्भीर होना चाहिये । जरूरी यह है कि हमेशा शान्त रहो और निश्चल ऊर्जा से भरे रहो ।
३५३
Home
The Mother
Books
CWM
Hindi
Share your feedback. Help us improve. Or ask a question.